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साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 3






अमन और विजय डॉक्टर को घेरकर खड़े थे । डॉक्टर वरुण मानने को तैयार नही था की उसने इंस्पेक्टर विक्की पर हमला किया और भाग गया था, वरुण ने अपनी अलग सी कहानी उन्हें सुनाई जिसे वो दोनो मानने को तैयार नही थे।

"अगर तुम्हें कितनेप कर लिया गया था तो तुम्हे कारण तो बताया होगा, कोई बात तो हुई होगी, हमने तुम्हे किटनेप करवाया है तो हम बता रहे है कि क्यो किया है, क्योकि राहुल को हम मारना चाहते है लेकिन राहुल आपके हॉस्पिटल से गायब हो गया और पुलिस के बयान के आधार पर उसे भगाने में आपका हाथ है।" अमन बोला

वरुण ने एक एक बाजार दोनो की तरफ देखते हुए कहा- "लेकिन उसे मारना क्यो चाहते थे? उससे क्या दुश्मनी है?"

"बहुत लंबी कहानी है और हमारे पास ज्यादा वक्त नही है, तुम बस ये बताओ कि तुम्हारे जैसा दिखने वाला दूसरा डॉक्टर कौन है?" विजय ने कहा।

"वक्त तो मेरे पास कम लग रहा है जिस तरह आप लोग काल बनकर खड़े हो, अरे भाई! मैं इंसान हूँ और मुझे जो पता है वो बता दिया, अब बंदूक देखकर जो बात पता ना हो कैसे बता पाऊँगा।" वरुण बोला।

"तेरा बताएगा उस्ताज भी" कहते हुए अमन ने वरुण के मुंह मे बंदूक की नली ठूस दी। वरुण ने अपनी दोनो आंखों को बंद कर लिया। क्योकि वो इस वक्त कुछ भी नही कर सकता था।

विजय ने अमन को पीछे हटाते हुए कहा- "गुस्सा नही…. गुस्सा नही!  ये सच बोल रहा है। इसकी कोई गलती नही है। इसे छोड़ देना चाहिए।"

अमन ने विजय की तरफ हैरानी से देखकर कहा- "ये क्या कह रहे हो? ये जरूर कुछ ना कुछ जानता है।"

"ये जानता है तो बस इतना ही कि इसे कल दोपहर दो बजे किसी ने कीटनेप कर लिया था और अभी छोड़ दिया। ये पुलिस के पास जाएगा और सिर्फ उस किटनेपर का बयान देगा जिसने इसे कुछ सुंघाकर बेहोश किया था। वैसे तुम तो डॉक्टर हो ना वरुण, क्या सुंघाया था उसने?" विजय ने कहा।

"मुझे क्या पता, मैं कौन सा सारे टेस्ट ट्यूब साथ लेकर घूमता हूँ, सूंघा दिया होगा क्लोरोफॉर्म का भाई बंधु" वरुण बोला।

"ये फॉर्म वार्म को गोली मारो, ये बताओ कि पुलिस को क्या कहोगे? " अमन ने एक बार फिर से पूछा, ताकि जान सके डॉक्टर को बात समझ आई या नही।

"यही कि कल दोपहर करीब दो बजे मुझे कोई नशीला द्रव्य सुंघाकर किटनेप कर लिया गया था और आज छोड़ा, मैं सीधे पुलिस स्टेशन आ रहा हूँ।" वरुण ने कहा।

विजय ने अमन की तरफ देखा और इशारे में खोलने को कहा।

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एक ऊंची बिल्डिंग के एक कमरे में, अब भी दो लोग थे, एक था मरीज राहुल….और दूसरा था एक अजनबी जो राहुल को यहां लेकर आया था।

राहुल अभी सोफे पर किसी तकिए से पीठ को सहारा देकर बैठा हुआ था, उसका कंधा अब भी हिलने डुलने में दर्द कर कर रहा था।

"मुझे खुद नही पता उन्होंने मुझे क्यो जान से मारने की कोशिश की, मैं उन लोगो को जानता भी नही था।" राहुल ने धीमी सी आवाज में कहा।

"मुझे देखकर भी कुछ समझ नही आ रहा क्या? " अजनबी ने कहा।

"आपको देखकर तो मैं और हैरान हूँ, मैं कभी इन सब बातों में यकीन नही करता था लेकिन तुम्हे देखने के बाद यकीन करने को मजबूर हो गया हूँ, अब चाहकर भी नकार नही सकता कि ये संभव नही है" राहुल बोला।

"वैसे बस नाम का ही फर्क है, आपका नाम राहुल मेरा नाम दीपक है, और संयोगवश मैंने उन्हें अपना नाम राहुल बताया था जबकि मैं हर किसी को अलग अलग बताता हूँ।" अजनबी ने कहा।

"दीपक तुमने तो मेरी जिंदगी में अंधेरा होने से बचा लिया यार, वैसे तुम्हारी रोशनी कहाँ है?"  राहुल ने मजाक करते हुए कहा।

रोशनी का नाम सुनते ही दीपक मायूस हो गया और राहुल के सामने से उठकर अंदर की तरफ चले गया।

राहुल ने फिर भी आवाज देते हुए कहा- "अरे मुझे यहां लेकर क्यो आये हो ये तो बता दो,कहीं तुम भी मुझे मारने वाले तो नही हो?"

दीपक ने कोई जवाब नही दिया, और अंदर चले गया।  थोड़ी देर तक राहुल कमरे को देखता रहा,फिर धीरे से उठकर खिड़की के पास गया और खिड़की के दरवाजे को पकड़ कर खड़ा हो गया। शाम का समय था, खिड़की से हवा आ रही थी, जो गर्मी से काफी राहत दे रही थी।

दीपक दो कप कॉफी लेकर आया और टेबल पर रखते हुए  खिड़की के पास खड़ा हो गया।

"अगर तुम्हें मारना होता तो अब तक जिंदा नही होते तुम, मैं मारना जरूर चाहता हूँ लेकिन तुम्हे नही, तुम्हे सिर्फ इसलिये बचाया है क्योकि तुम्हारी जो ये हालात है वो सिर्फ मेरी वजह से है। तुम्हारा कसूर सिर्फ इतना है कि तुम मेरे जैसे दिखते हो, हम दोनो को भगवान ने एक जैसा बनाकर बहुत बड़ा गेम खेला है। बहुत बड़ी साजिश की है।" दीपक ने राहुल से कहा।

"सच कहूं तो जब पहले मैने तुम्हे देखा तो मैं ठिठक गया, मुझे लगा कि मैं मर चुका हूँ और मेरी आत्मा मुझे मेरे शरीर से बाहर जाकर निहार रही है, लेकिन फिर भी कंधे में दर्द हो रहा था तो मुझे लगा शायद मेरी परछाई है जो मुझसे बात करने आई है, लेकिन यहां मामला कुछ और निकला" राहुल ने कहा।

राहुल की बात सुनकर दीपक थोड़ा हँसा और बोला- "पूरे फिल्मी हो तुम, और तुम्हारे ख्याल तो पूछो मत, ये आत्मा, ये परछाई ये सब कहाँ होती है, बस फिल्मी जगत में ये सब होता है।" दीपक ने कहा।

"हम दोनो हमशक्ल है, ये भी तो फिल्मी जगत में ही होता है, लेकिन फिर भी है ना हम हमशक्ल" राहुल ने कहा।

"तुम आओ कॉफी पियो"  दीपक ने कहा और सोफे में जाकर बैठ गया।

सोफे की तरफ जाते हुए राहुल ने कहा- "भगवान ने जो साजिश करनी थी कर ली, हम दोनो को एक जैसा बनाकर, लेकिन मुझपर हमला करने के पीछे हाथ किसका है, कौन है जो मुझे मारना चाहता है।"

"तुम्हे नही! तुम्हे नही मुझे मारना चाहते है। और वो मुझे इसलिए मारना चाहते है क्योकि मैं उन्हें मारना चाहता हूँ, मैं उन्हें खत्म करना चाहता हूँ, मैं उन्हें मिटाना चाहता हूँ"  दीपक ने कहा।

"लेकिन तुम उन्हें क्यो मारना चाहते हो?" राहुल ने सवाल किया।

दीपक ने कॉफी का कप हाथ मे लिया और उठकर दीवार पर टँकी फ़ोटो जिसपे पर्दा करके रखा था उसके पर्दे को हटाया , पर्दा हटा तो वहां एक खूबसूरत लड़की की तस्वीर थी।

"तुम पूछ रहे थे ना कि तुम्हारी रोशनी कहाँ है?, ये है मेरी रोशनी, हां इस दीपक की रोशनी है ये।" दीपक ने कहा।

अपना कप टेबल पर ही छोड़कर राहुल उस तरफ चलते हुए आया और हैरानी से उस तस्वीर को देखने लगा।

"क्या हुआ इसे…??"  राहुल ने हैरानी से सवाल किया।

कहानी जारी है


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4 Comments

Fiza Tanvi

28-Aug-2021 12:00 AM

सुन्दर

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अच्छी शैली, गुड कॉन्सेप्ट संतोष जी.... वेल रिटिन ....

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🤫

22-Jul-2021 11:00 AM

good going...

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